गम के बादल एक दिन छटेंगे,
दुख विपत्ति जरूर हटेंगे,
महामारी का जो ये संकट है,
कब तक ये यहाँ डटे रहेंगे।
दूर होगी महामारी जो छाई,
दूर होगी व्यथा जो गहराई,
भय का माहौल दूर होगा,
फिर मुस्कुराएगा इंडिया।
माना कि संकट अभी गहरा है,
डर का चारो तरफ पहरा है,
पर जल्दी ही इस डर के साये
को भुला कर मंजर हसीन होगा,
और फिर मुस्कुराएगा इंडिया।
हमारी जिजीविषा बहुत भारी,
मान लेंगे नियम जो है सारी,
एक दूसरे के दर्द को समझेंगे,
उनके जरूरत पूरी करेंगे,
दो मीठे बोल से सबकी तकलीफ
हम मिलकर हरेंगे।
फिर मुस्कुराएगा इंडिया।
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