प्यार का बसेरा

प्यार का बसेरा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 03 Sep, 2022 | 0 mins read

जिम्मेदारियों का मेरे घर में बसेरा,

खत्म होंगी कब नही दिखता सवेरा,

मंजिल अभी दूर है प्यार की,

नही लगाती मैं प्यार का दिल में डेरा।


दर्द दिल पर बड़ा ही हावी है,

चंद खुशियाँ नही दिखती प्रभावी हैं,

कश्मकश दिल में मेरे है लगी हुई,

अँधेरा ही दिखता मेरा भावी है।


प्यार के मायने बदल रहे हैं,

कहाँ दिल किसी दिल पर ठहर रहे हैं,

जरूरतों से ही मुहब्बत हो रही है,

खूबसूरत चेहरे पर सब फिसल रहे हैं।


प्यार की मंजिल मिलना आसान नही है,

दिल से दिल का जुड़ना शान नही है,

जिस्म से मिलन को ही प्यार समझते,

रूह का मिलना सम्मान नही है।


प्यार की मंजिल इसलिए बहुत दूर है,

पाने खोने की उलझन दिल मजबूर है।

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