राहुल बड़े घर का बिगड़ा बेटा था और सलील गरीब मगर संस्कारी ।राहुल तो उसे कभी सीधे मुंह बात तक न करता था उससे।एक दिन सलील ने देखा राहुल कुछ बदमाशों से घिरा था ।सलील न बचाता तो शायद उसे मार ही देते।अपनी जान पर खेलकर राहुल को बचाया था उसने ।
बार-बार सोचता रहा-" किन शब्दों से शुक्रिया अदा करूं सलील का, उसके सुखे-पीले मुख के पीछे का देवता मुझे दिखाई न दिया !! और दंभ का मुखौटा जो मुझ पर चढ़ा था ,आज वह चूर-चूर हो गया।" . . .
राहुल का ये परिवर्तन क्या वास्तव में उसको बदल गया था या उसके मन में अभी भी संशय बाकी था ...
कहते हैं वर्षों की आदत इतनी जल्दी नही बदलती,मगर इतना सब होने के बाद राहुल में एक परिवर्तन हुआ वह पहले की तरह उद्दंड नही रहा ।
यद्धपि उसकी जो आदतें बिगड़ चुकी थी वह अभी भी नही बदली थी।बुरी लत ,पढ़ाई के प्रति लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना रवैया जस का तस था।मगर अब वह किसी को कमतर जान उसका मजाक नही उड़ाता था और न ही उनसे बात करने से कतराता था।
सलिल चाहता था कि राहुल बुरे व्यसन छोड़ दें मगर उसकी हिम्मत नही होती थी।क्योंकि राहुल से कोई घनिष्ठता नही थी।और दूसरे सलिल किताबों में व्यस्त रहता था ।
राहुल हर तरह के नशे की गिरफ्त में आ चुका था।नशे की ऐसी लत पड़ चुकी थी की छूटना मुश्किल था।
इधर कॉलेज खत्म होने के बाद सब अपनी दुनिया में व्यस्त हो चुके थे।
अचानक राहुल की तबियत काफी बिगड़ जाती है,कई अस्पतालों में दिखाने के बाद जब वह दिल्ली के अस्पताल में जाता है तो डॉक्टर के रूप में सलिल को देख हतप्रभ रह जाता है।
सलिल को देख उसके आँसू नही थमते है आज भी राहुल की जिंदगी की डोर सलिल ने थाम ली थी।
एक बार फिर सलिल राहुल को अपने चिकित्सीय सहायता से बचा लेता है।
और इस बार राहुल का पश्चाताप बिल्कुल सच्चा था।राहुल के जीवन में एक बदलाव के साथ।
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