बचपन का प्यार

बचपन का प्यार

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Nov, 2021 | 1 min read




बचपन का प्यार अल्हड़ और नादान,

जमाने की परवाह से बेपरवाह,

हर फिक्र से रहे अनजान।


ना जाति पाँति की करें कोई बात,

ना ही ऊँच नीच की कोई दीवार,

अमीरी गरीबी की न करें कोई बात,

दिखावे से दूर रहे ये नादान।


न बताने में कोई झिझक,

ना ही हया और शर्म का कोई निशान,

मासूमियत से भरपूर हो

भावनाओं से लबरेज़ 

पवित्रता का दूसरा नाम।

बचपन का वह छलरहित निष्काम प्यार।


बचपन का प्यार शिकवे शिकायतों से दूर,

पल में रूठने मनाने का सिलसिला,

पल में हो इजहार और इकरार।

बचपन का नादान और मासूम प्यार।

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Ruchika Rai

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