सच्चा प्यार

सच्चा प्यार

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 02 Sep, 2021 | 1 min read

सच्चे प्रेम की परिभाषा कैसे बताऊँ,

दुनियाई रीतियों से अलग कैसे इसे समझाऊँ,

हो न मिलन की आस फिर भी दिल से जुड़े,

बस प्रेम को इतना ही समझ पाऊँ।

न कोई वादा निभाने की कश्मकश हो,

न ये जिद करने को अपने वश में हो,

बस जब मिले जितना मिले दिल से मिले,

 सोच एक दूजे की दिल दिमाग और नस में हो।

हो प्रेम की पाकीजगी का सदा ही ध्यान ,

एक दूजे के लिए मन हो सदा मान,

स्पर्श के बिना भी महसूस करें एक दूजे को,

एक दूजे को बिना कहे ले जान।

हर सोच में हर ख्याल में बस पास रहे,

एक दूजे की खुशी का विश्वास रहे,

शिद्दत से निभाये एक दूजे के रिश्तों को,

नही किसी बंधन में बंधने की आस रहे।

सच्चे प्रेम को सदा ही इबादत मानो,

जैसे प्राण के लिए वायु की जरूरत जानो,

हो धड़कनों में एक दूजे के धड़कते सदा,

आँख की रोशनी से जैसे मोहब्बत जानो।

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