कर्म से किस्मत के लिखे को बदलते देखा है,
बिगड़ी किस्मत को हमने संवरते हुए देखा है।
माना कि कुछ बातें हमारे पहुँच से दूर होती,
पर उनको भी कोशिशों से पास पहुँचते देखा है।
जीवन की आपाधापी में कोई आगे कोई पीछे,
निरंतर चलने वाले को आगे बढ़ते हुए देखा है।
कभी कभी जब किस्मत रूठी हुई सी लगती,
जिंदगी को एक बार मौका पाते हुए देखा है।
दुनिया की खूबसूरती देख होने लगता रश्क,
स्वयं किस्मत बदलने को मचलते हुए देखा है।
आसान है किस्मत पर हर गुबार निकाल देना,
गुबार निकलने के बाद मन पिघलते हुए देखा है।
जो अपने कोशिशों से जीवन में रंग भरते हैं,
किस्मत को भी उनका साथ देते हुए देखा है।
कर्म और प्रारब्ध का कुछ अपना हिसाब है,
उसके ही आधार पर कुछ मिलते हुए देखा है।
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