महिला दिवस

महिला दिवाद

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 08 Mar, 2021 | 1 min read

ये महिला दिवस की बातें

मुझे बेमानी लगती है।

जब रेप, अपहरण ,छेड़छाड़ के

आँकड़े अलग कहानी कहती हैं।

क्यों इस दिन की जरूरत 

इस देश में है,

जहाँ नारी देवी और पूजनीया

 के वेश में है।

कोख में नौ महीने रखकर अपने

खून से सींचती वो,

पर बाजारों में विज्ञापन के नाम पर सजती वो।

दो लोगो के बीच झगड़े में उसके

नाम की गाली दी जाती,

उसके पेट की आग बुझाने खातिर अश्लील नृत्यों पर ताली दी जाती ।

अफसोस इस बात का नही कि

पुरुष समाज ऐसा करता है,

दुख इस बात का है कि नारी ही नारी को आगे बढ़ने से रोकती है।

जन्म लिया नही बेटी ने ब्याह की सबसे बड़ी चिंता,

पढ़ लिख जाए खुद कमाए तो बढ़ी चिंता,

उम्र उसकी शादी की हुई ये घर वालों 

को बाहर वाले बताते हैं।

माँ के लिए प्यारी बिटिया और बहू बन जाने पर कितनी कमियाँ निकाले जाते हैं।

असली महिला दिवस यही कि नारी ही नारी को उठाये,

कदम कदम पर हाथ थामकर उसे गिरने से बचाये।

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