आलू भुजिया हो या नमकीन,
रसगुल्ले खाते वक्त नही गिन,
स्वाद में बेजोड़ और बेमिसाल,
स्नैक्स सूना लगे इसके बिन।
आ जाता है खुद मुँह में पानी,
हल्दीराम के पापड़ की अलग कहानी,
सोनपापड़ी हो या हो बर्फी,
हल्दीराम का स्वाद चढ़े हर जुबानी।
देख के नमकीन रहा न जाये,
जी ललचाय मन को भाये,
आओ सब मिलकर है खाये,
हल्दीराम के सब प्रोडक्ट घर में लाये।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.