जब तुम आना

जब तुम आना

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 18 Feb, 2022 | 0 mins read

जब निराशा के बादल गहरे हो,

दुख के लगते हम पर पहरे हो,

जब मुस्कान हुआ धराशायी हो,

जब आँसू पलकों पर ठहरे हो।

तब तुम प्रखर रवि किरणें बन आना,

मैं भोर बन तुम्हारे साथ चलूँगी।


जब उमस भरी दुपहरी हो,

जब गर्मी आकर ठहरी हो,

जब बेचैनी हिय में उठे भारी हो,

जब सूर्य ताप लगे गहरी हो।

तब तुम बारिश बूँदें बन आना,

मैं बिजली बन तेरे संग चमकूँगी।


जब उम्मीद नही देता कोई दिखाई हो,

जब मिलन से पहले ही विदाई हो,

जब थक हार कर मन बैठा हो,

जब चौतरफा दुख की खाई हो।

तब तुम उम्मीद का जुगनू पकड़ लाना,

मैं उससे घर रोशन कर दूँगी।


तुम आना तो ऐसे आना

जैसे शीतल पवन का झोंका हो।

बेरोक टोक तुम आकर हिय में समाना,

जैसे टूट गया मन का सारा धोखा हो।

तुम प्रेम प्रीत की सरगम लेकर,

कोयल सी तान सुना जाना।


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  • Nigam Rockstar · 3 years ago last edited 3 years ago

    I am new here and the first thing i saw was this and its beautiful

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