नरम,नाजुक ,कोमल एहसास से भरी,
है कर्तव्यनिष्ठ मुश्किलों से भी न डरी,
नामुमकिन शब्द नही रहे शब्दकोश में,
कोई भी समस्या नही लगती उसे बड़ी।
प्रेम से पगी हुई कोमल है जज्बात,
जिम्मेदारियों को पूरी करती दिन-रात
नारी आज की नही रहती है अशक्त,
विकास के राह पर चली बदल ख्यालात।
हवाई जहाज से लेकर ट्रेन चलाती है,
नई खोजें भी वह अक्सर कर जाती है,
वैज्ञानिक और चिकित्सक बनकर वह,
अपनी अलग सदा पहचान बनाती है।
राजनीति के लिए बनकर मिसाल खड़ी,
समाजसेवा के लिए हैं वह सदा ही अड़ी,
घर ,बाहर दोनों की जिम्मेदारी सम्भालती,
दुश्मनों से सदा वह हिम्मत से है लड़ी।
बन अर्थशास्त्री देश की अर्थव्यवस्था पर रखे नजर,
उनके ही होने से मकान बन जाता है एक खूबसूरत घर,
रसोई से लेकर क्लास रूम तक दिखती उनकी प्रतिभा,
नारी है सब पर भारी नही उनके मन में रहता डर।
है आज की नारी दुनिया जाए उनपर वारी,
हर क्षेत्र में रहती अव्वल नही बनती बेचारी,
जीवन के दुरूह रास्ते पर चलती है अनथक,
है सदा सम्मान और प्यार की वो अधिकारी।
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