मन की खूँटी पर टाँग दी है कुछ उम्मीदें,
कुछ चाहतें,
अपनी मौन मोहब्बतें,
ना जाने कब दरकार पड़ जाए उसकी,
न जाने कब बदल जाये जिंदगी,
और क़ब इंद्रधनुषी रंग जीवन को
रंगीन बनायें।
मन की खूंटी पर टाँग दी है कुछ जज्बात,
कुछ मन के एहसासात
कुछ अपनी कोमल भावनाएं,
ना जाने कब ये बिखर जाएं
और खोल दें दिल के राज
और बेमोल हो जाएं मेरी कल्पनाएं।
मन की खूंटी को मजबूत बनाने की
चलती रहती सारी कवायदें
हिफाज़त करने को मन के ख्यालात,
लगानी होती मन पर बाँध।
न जाने कब मन के बाँध टूट जाये
और जो मिला वह भी सरक जाएं।
Comments
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Wowww bahot khubsurat rachna man ki khuunti 👏👏👏
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