है नमन उन वीरों को जो देश के लिए कुर्बान हुए,
हँसते हँसते मातृभूमि की रक्षा हेतु जिन्होंने जान दिए,
उनके ऋण को हम आजीवन नही चुका सकते हैं,
है नतमस्तक उनके आगे मेरे तन मन प्राण हुए।
पुलवामा की घटना का सोच जी मेरा डर जाता है,
उन शहीदों को याद कर मेरा रोम सिहर जाता है,
कैसे आत्मघाती हमला कर दुश्मन ने गद्दारी की,
उनके इस कृत्य पर मेरा तन मन काँप सा जाता है।
थे रणबाँकुरे हमारे युद्ध में हराना था उनको नामुमकिन,
थे सीमा पर डटे हुए देश पर आँख उठाना था मुश्किल,
उनकी ऐसी वीरता देख दुश्मन ने कूटनीति अपनाई,
पुलवामा में हमला कर कितने माँगो की सिंदूर मिटाई।
है श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूँ उन वीर जवानों को,
जिंनके रहने से हम हैं सुरक्षित अपने घर और ठिकानों पर,
है अमरत्व को प्राप्त हुए उनकी गाथा हम क्या कहे,
हैं भारत माँ के सच्चे सपूत नमन है उनके बलिदानों पर।
रूचिका राय
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