जीवन

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 22 Jun, 2021 | 0 mins read

जब घना स्याह अँधेरा हो,

जब लगे न फिर कभी सवेरा हो,

जीवन ज्योति बुझती सी,

तब भी उठकर संभलो तुम,

खुद से प्यार कर खुद बदलो तुम,

फिर देखना नया सवेरा हो।

जब रातें होती काली सी,

जीवन नही चलती मतवाली सी,

सोचों पर पहरा गहरा हो,

एक मोड़ पर जीवन ठहरा हो,

तब करना एक नई शुरुआत सदा,

जीवन बन जाएगी खास सदा।

जब प्यार का रंग नही दिखता हो,

जब कोई संग नही दिखता हो,

जब जीवन तुम्हारा बेरंग लगे,

शब्द भाव जब अपने नही लगे,

फिर प्रेम पौध लगाना तुम,

जीवन में प्रेम पुष्प खिलाना तुम।

जीवन करेगी फिर स्वीकार तुम्हें

दे देगी भरपूर प्यार तुम्हें।

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