जर्द पड़े पत्ते,
मुरझाए फूल,
सूखी टहनियां,
और उजड़े हुए से खेत
बयां करते हैं दास्तां परिवर्तन का
तय है खत्म हो जाना
एक समय के बाद
वो सारी चीजें जो आँखों को भाती।
बदलते मौसम,
दिन-रात का चलता चक्र,
दिनों ,महीनों,सालों का पीछे
छूट जाना
उम्र के साथ बदलती पसन्द
बचपन,जवानी और बुढ़ापे के दिखते रंग
बयां करते हैं ये हकीकत
समय परिवर्तनशील है
नही थमती है वह एक जगह आकर।
समय के साथ
बदलती जरूरतें
बदलती जरूरतों के साथ
कम होती उपयोगिता कुछ चीजों की
और संग में फीके पड़ते
कुछ रिश्तों के रंग।
नया कुछ पाने की तलाश में भटकता
ही रहता है ये मन।
समय के साथ बढ़ते जो कदम
वही सफल कहलाते हैं सदा
उन्हीं का सफ़ल होता ये जीवन।
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