कठपुतली

कठपुतली सी जिंदगी

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 26 Mar, 2022 | 1 min read

कठपुतली सी जिंदगी अपनी

डोर उसके हाथ।

कभी खींचे इस ओर ,कभी खींचे उस ओर,

कभी छोड़े डोर का साथ।


जब चाहे जैसे चाहे ,वह देता है मोड़,

नही लगता अपने वश कुछ,

नही सूझता है कोई डगर हमें,

नही मिलता कोई सिरा या छोर।


कठपुतली सा नाच नचाये वह,

कभी हँसाये,कभी रूलाये वह,

कभी जिम्मेदारियों की ऊँची पहाड़ रखे,

कभी अलमस्त बेपरवाह बनाये वह।


काश की अपनी चाहत से डोर चलाये,

जिधर मन चाहे उधर हम जाये।

नाचे न कभी दूसरे इशारे पर,

कठपुतली सा जीवन न अपना बनाएं।

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Ruchika Rai

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