टेलीविजन

टेलीविजन दिवस

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 22 Nov, 2021 | 1 min read

बड़ा याद आता है वो मुझको जमाना,

जब टेलीविजन से अपना था याराना,

नही कोई इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन,

बस टेलीविजन पर चलता किस्सा पुराना।


वो इतवार की सुबह की प्यारी रंगोली,

वो नये पुराने गानों की हमजोली,

वो बुधवार और शुक्रवार को चित्रहार,

जैसे लगी हो खुशियों की अपनी टोली।


वो टेलीविजन में रामायण महाभारत,

भक्ति का होता था सारा ही वातावरण,

रोज रात को दूरदर्शन पर देश विदेश की खबरें,

सामान्यज्ञान की बढ़ाती थी जानकारी।


वो चंद्रकांता धारावाहिक का था बुखार,

वो क्रूर सिंह को सुनने के लिए बेकरार,

वो विष कन्या और विष पुरुष की कहानी,

देखने को उत्सुक और हम सदा तैयार।


वो रविवार शाम को घर की थियेटर,

संग में बैठकर देखते थे सब मिलजुलकर,

वो नये पुराने फिल्मों का अद्भुत संयोजन,

सप्ताह भर इंतजार को आतुर रहता मन।


टेलीविजन का वह जमाना था बड़ी खास,

सारी सुविधाओं के बाद भी इंतजार रहता 

लौट आये वो काश।

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Ruchika Rai

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