कालचक्र

कालचक्र का खेल

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 01 Apr, 2021 | 0 mins read

कालचक्र का खेल यहाँ कौन समझ पाया,

जिसने सुलझाना चाहा खुद को है उलझाया।


जीवन मरण के बीच फँसी है मोहमाया की दीवारें,

झूठे अहम और अना के कारण बढ़ती है तकरारें,

सही गलत के खेल में खुद को इतना उलझाया,

प्रेम के नाम पर भी चलने लगी यहाँ व्यापारें।


कालचक्र का खेल....

जीना जिसके लिए मुश्किल उसको जीना पड़ता है,

कदम कदम पर जहर जिंदगी का पीना पड़ता है,

जिसकी जरूरत है सबको वही कालग्रास बन जाये,

गम से भरा जीवन जिसका उसे गम सीना पड़ता है।


कालचक्र का खेल......


तड़प तड़प के कालचक्र की हर परीक्षा जो दे जाये,

परीक्षाओं पर परीक्षा उसके हिस्से में है आये,

फिर भी कालचक्र उसके हिम्मत की परख करता है,

जो हर परीक्षा के बाद भी डटकर खड़ा हो जाये।


कालचक्र के खेल....

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