ये जीवन है तो उलझन है
उलझन ही सुलझाना है
लाख मुसीबत पथ में हो
आगे बढ़ते जाना है।
बिन उलझन के क्या जीवन है
न कोई उमंग न कोई उत्साह,
उलझन से मिले प्रेरणा हमें
बाधा पार कर दिखाना है।
सुख दुख दो किनारे हैं,
पथ में फूल शूल हैं,
सूर्य की उष्णता से लेकर
चाँद की शीतलता पाना है।
क्या सही क्या गलत बना,
क्या जोड़े क्या ऋण चुकाना,
अपने और पराये कौन
यह उलझन भी सुलझाना है।
ये जीवन है तो उलझन है
उलझन ही सुलझाना है।
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प्रेरणादायक कविता
प्रेरणादायक
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