उलझन

उलझन

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 17 Apr, 2021 | 1 min read


ये जीवन है तो उलझन है

उलझन ही सुलझाना है

लाख मुसीबत पथ में हो

आगे बढ़ते जाना है।


बिन उलझन के क्या जीवन है

न कोई उमंग न कोई उत्साह,

उलझन से मिले प्रेरणा हमें

बाधा पार कर दिखाना है।


सुख दुख दो किनारे हैं,

पथ में फूल शूल हैं,

सूर्य की उष्णता से लेकर

चाँद की शीतलता पाना है।


क्या सही क्या गलत बना,

क्या जोड़े क्या ऋण चुकाना,

अपने और पराये कौन 

यह उलझन भी सुलझाना है।


ये जीवन है तो उलझन है

उलझन ही सुलझाना है।


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Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    प्रेरणादायक कविता

  • Deepali sanotia · 3 years ago last edited 3 years ago

    प्रेरणादायक

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