अंतिम पायदान

वर्ष के अंतिम पायदान

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Dec, 2022 | 0 mins read

वर्ष के अंतिम पायदान पर हम खड़े हैं,

अपनी किस्मत से जंग हम स्वयं लड़े हैं।


कितनी चोटें खाई, कितनी दरारें आईं,

अपने हौसलों से दरारों को हमने भरे हैं।


टूटता विश्वास रिश्तों से उलझे किश्तों में,

पर फिर भी मुश्किलों पर हम भारी पड़े हैं।


नाउम्मीदी का घना अँधेरा नही दिखे सवेरा,

जुगनू बनकर हम घने अँधेरों में भी बरे हैं।


हारना स्वीकार नही ,जिंदगी से रार नही,

जिंदगी को सरल बनाने के लिए हम अड़े हैं।


नव वर्ष हो नयी कल्पनाओं से पल्लवित,

कल्पनाओं को पूरा करने से नही हम डरे हैं।


बीतते वर्ष का शुक्रिया आते वर्ष का स्वागत,

हम आस का दीपक जला कर सदा खड़े हैं।

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Ruchika Rai

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