महिला दिवस की सार्थकता

महिला दिवस

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 08 Mar, 2021 | 0 mins read

विचारों का अनवरत प्रवाह

कुछ कर गुजरने की चाह

सोचों का अंतहीन सिलसिला,

अपने आप से ही गिला,

खुद को जमाने के चाल में मिलाती हुई

अपने साथ अपनों को आगे बढाती हुई,

जब किसी और महिला के हित की बात हो,

तभी है असली महिला सशक्तिकरण।

दिवस की आवश्यकता नही,

ये बना विवाद है।

न देवी सा प्रतिष्ठित हो,

न पूजे जाने की चाह है,

इंसान सा ही व्यवहार हो,

इंसान सा ही सम्मान हो।

भय के वातावरण से रोज हम दूर रहे,

आर्थिक सामाजिक मानसिक रूप से

न कोई हम पर पहरा लगे,

पुरुष की सहचरी बन कर सदा हम चले,

न कोई वाद हो

न कोई विवाद हो,

सहज सरल रूप से

कुछ इस तरह का विकास हो।

गलत को गलत कहे

सत्य का सदा साथ हो।

नही कोई अहल्या बने,

जिसका उद्धार राम करें।

नही कोई सीता बने,

जिसके लिए सात योजन समुन्द्र पार करें।

नही कोई द्रोपदी बने

जिसके लिए चौपड़ हो।

नही कोई लक्ष्मीबाई बने,

जिसको नारी होने के लिए विरोध सहना हो।

बस यही चाहत है

हम सामान्य इंसान है।

हमें सामान्य रूप से विकास करने दो,

न कोई हम विज्ञापन का आधार बने

न कोई हम गाली का भंडार बने,

मेरे तन को न घूँघट की ओट दो,

नही कोई स्वतंत्र नंग धड़ंग रहने दो।

बस नारी दिवस की सार्थकता यही

सहज सरल रूप से प्रत्येक नारी का विकास हो।

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