मेरा मन

कहता है मन

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 01 Jun, 2022 | 1 min read

यूँ कभी अचानक कहता है ये मेरा मन,

चल कही दूर निकल जाएं हम।


न हो रिश्तों में कोई फरेब और मजबूरी,

न हो दिल की अपनेपन से कोई दूरी,

न सामाजिक रीति रिवाज के ताले हो,

 प्रेम और सम्मान की जरूरत हो पूरी।


यूँ कभी अचानक कहता है ये मेरा मन,

चल कहीं दूर निकल जाएं हम।


न उलझनें जहाँ जी का जंजाल बनें,

न नफ़रतों से उलझकर कोई चाल चले,

एक दूजे का हाथ थाम सब बढ़ते रहें

एक दूजे के दुख सुख में सब साथ खड़ें।


यूँ कभी अचानक कहता है ये मेरा मन,

चल कही दूर निकल जाएं हम।


न साजिशों का जहाँ कोई डेरा हो,

एक दूजे के दिल में सबका बसेरा हो,

बस जब भी मिले खुले दिल से सब मिले,

हर अँधेरी रात के बाद सुहाना सवेरा हो।


यूँ कभी अचानक कहता है ये मेरा मन,

चल कहीं दूर निकल जाएं हम।

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