ख़्वाब

ख़्वाब

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 03 Mar, 2021 | 0 mins read



रातों की तनहाई में

खुद की ही परछाई में

अरमानों को सजाकर

ख़्वाब देखा कुछ अनकहे।

सूरज की किरणों के आने पर,

जिम्मेदारियों को निभाने पर,

मन को समझाने पर,

ख़्वाब वो टूट गए।


जागती आँखों से देखा ख़्वाब,

पूरा करने की जिद ठान,

हौसलों को दे परवान,

हिम्मतों से लड़ लिया हर तूफान,

फिर वो ख़्वाब पूरे होंगे,

यही देनी थी इम्तिहान।


कुछ ख़्वाब कभी पूरे नही होते,

कुछ टूट जाते हैं।

कुछ उम्मीद जगाते हैं,

कुछ जीने की वजह दे जाते हैं,

कुछ दर्द की वजह बन जाते हैं।


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Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

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  • Ruchi Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    ❤️

  • Mithlesh Singh · 3 years ago last edited 3 years ago

    बेहतरीन प्रदर्शन

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    Ruchi Rai thankyou

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    Mithlesh singh thankyou

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