रातों की तनहाई में
खुद की ही परछाई में
अरमानों को सजाकर
ख़्वाब देखा कुछ अनकहे।
सूरज की किरणों के आने पर,
जिम्मेदारियों को निभाने पर,
मन को समझाने पर,
ख़्वाब वो टूट गए।
जागती आँखों से देखा ख़्वाब,
पूरा करने की जिद ठान,
हौसलों को दे परवान,
हिम्मतों से लड़ लिया हर तूफान,
फिर वो ख़्वाब पूरे होंगे,
यही देनी थी इम्तिहान।
कुछ ख़्वाब कभी पूरे नही होते,
कुछ टूट जाते हैं।
कुछ उम्मीद जगाते हैं,
कुछ जीने की वजह दे जाते हैं,
कुछ दर्द की वजह बन जाते हैं।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
❤️
बेहतरीन प्रदर्शन
Ruchi Rai thankyou
Mithlesh singh thankyou
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