वादा स्वयं से करना और उसे स्वयं निभाना है,
इतना आसान भी नही पर करने को ठाना है।
एक वादा
किसी भी हालत में टूटकर बिखरना नही,
अगर बिखर भी गयी तो स्वयं को समेट
जिंदगी को फिर से आजमाना है।
एक वादा
अपेक्षाओं उपेक्षाओं के तिलिस्म में उलझ,
नही स्वयं को भूलाना है।
अपना ख्याल,अपनी परवाह और स्वयं से
शिद्दत से इश्क निभाना है।
एक वादा,
व्यर्थ की चिंताओं को त्याग कर कर्म करना,
मदद दूसरों की करने का धर्म करना,
जो न हो हालात काबू
उसे समय की धार पर छोड़ कर
एक नए लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ाना है।
एक वादा,
दिल की अदालत में स्वयं को परखना,
आत्म चिंतन और आत्म संतुष्टि का स्वाद चखना,
संतुलन जिम्मेदारियों और शौक के बीच रखना,
कुछ इस तरह गगन को छूना है
और जमीन में मिलों पसरना है।
बस यही वादा संग लेकर
जिंदगी को सदा ही बिताना है।
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