ये कहाँ आ गए हम

ये कहाँ आ गए हम

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 19 Sep, 2022 | 1 min read

ये कहाँ आ गए हम



विकास के उच्चतम शिखर तक पहुँचने

की हो रही जद्दोजहद।

मगर जड़ें हो रही कमजोर और खोखली।

दोष किसका?

परवरिश का,समाज का,विकास की अंधी बयार का

या फिर कथित आधुनिकता का।


आगे निकलने की होड़ थी सबसे ऊपर,

या फिर बीमार मानसिकता थी हावी,

धर्म और संप्रदाय के नाम पर हो रहे थे शोषण,

या फिर लैंगिक असमानता का दिया जा रहा था 

परिचय।


ठहर कर सोचने का ये वक्त है,

रुक कर समझने की अब है बहुत जरूरत,

नारी ही नारी की बनी क्यों दुश्मन,

क्यों चुप्पी साधने को मजबूर है प्रशासन।


अभी तक फिक्र सिर्फ लड़कियों की परवरिश

को लेकर थी,

अब तो लड़कों के अभिभावकों को भी होना होगा 

सजग।

क्यों आधुनिकता का पैमाना बनता जा रहा वसन,

क्यों नग्नता को बनाया जा रहा स्टेटस सिंबल।


मगर इन सबसे ऊपर एक यह भी प्रश्न है मन में

क्यों निर्दोष हुए मौत को चुनने को विवश।

क्यों मन में डर था व्याप्त 

की उठेगी उन पर ही हर ऊँगली,

दोषी वही होंगी समाज के समक्ष।


जरा अब भी चेतो,जरा अब भी संभलो,

शिक्षा का मतलब सिर्फ आर्थिक उन्नति नही,

मानवीय और नैतिक मूल्यों को भी सहेजो

तभी शिक्षित होना होगा सार्थक।


#ChandigarhUniversity


रूचिका राय

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