देखते देखते वर्ष के अंतिम पड़ाव पर आ गए,
हिसाब क्या लगाए कितना कुछ देखो पा गए,
परिवार का साथ मिला वह भी भरपूर मिला,
उनका साथ पाकर हम देखो फूले समा गए।
शुक्रिया उस रब का जिसने मेरा परिवार दिया,
जिसने हर परिस्थिति के लिए मुझे तैयार किया,
हर दुख सुख में ढाल बनकर खड़े रहे सदा ही,
जिसने मुझ पर जमाने की खुशियाँ वार दिया।
शुक्रिया जिन्होंने जीवन के राहों में काँटे बिछाएं,
उन काँटों ने ही जीवन में फूलों का महत्व हमें
समझाएं,
उनसे ही सीखा सजगता अपने जीवन के हर कदम पर,
उनकी बदौलत मैंने अपने कदमों को है मजबूत बनाएं।
शुक्रिया उनका जिन्होंने मुझे सदा प्रोत्साहन दिया,
उनके कारण ही जीवन के जंग का मैंने सामना किया,
आत्मविश्वास मन में जगा और स्वयं से प्रेम हुआ,
शुक्रिया उनके कारण मैंने अधरों पर मुस्कान सजा लिया।
शुक्रिया उनका जिन्होंने अपना असली चेहरा दिखाया,
बदलते चेहरों से हक़ीकत मुझको समझ है आया,
अपेक्षा रखकर उपेक्षित न हो जीवन में कभी भी,
प्रेम और सम्मान बनें सबके जीवन का सदा सरमाया।।
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