मेरे हौसलों की उड़ान आप क्या जानोगे
मेरे ज़ख्म को आप बोलो कैसे पहचानोगे
मैं गिरती हूँ सँभलती हूँ फिर उठती हूँ,
मेरी इस फ़ितरत को आप नही मानोगे।
हो लाख मुश्किलें राह में रूकना नही सीखा,
है हार कर जीतने की कला तुम कैसे मानोगे।
दर बदर होकर भी मैं कभी टूटी नही जान लो,
मेरी इस हुनर के लिए क्या तुम खाक छानोगे।
अपनी उड़ान के लिए रास्ते मैंने खुद बनाये हैं,
इस हकीकत को कब तलक तुम सच मानोगे।
मेरा आत्मबल ही मेरा सबसे बड़ा हथियार है,
मेरे इस हथियार को तुम कब पहचानोगे।
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प्रेरणादायक
प्रेरणादायक
Kumar sandeep ji shukriya
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