उड़ान

उड़ान

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 14 Apr, 2021 | 1 min read



मेरे हौसलों की उड़ान आप क्या जानोगे

मेरे ज़ख्म को आप बोलो कैसे पहचानोगे


मैं गिरती हूँ सँभलती हूँ फिर उठती हूँ,

मेरी इस फ़ितरत को आप नही मानोगे।


हो लाख मुश्किलें राह में रूकना नही सीखा,

है हार कर जीतने की कला तुम कैसे मानोगे।


दर बदर होकर भी मैं कभी टूटी नही जान लो,

मेरी इस हुनर के लिए क्या तुम खाक छानोगे।


अपनी उड़ान के लिए रास्ते मैंने खुद बनाये हैं,

इस हकीकत को कब तलक तुम सच मानोगे।


मेरा आत्मबल ही मेरा सबसे बड़ा हथियार है,

मेरे इस हथियार को तुम कब पहचानोगे।


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Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    प्रेरणादायक

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    प्रेरणादायक

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    Kumar sandeep ji shukriya

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