खामोशी में लिपटा इश्क

इश्क

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 09 Oct, 2025 | 1 min read

रमा जहाँ भी जाती उसे लगता कोई उसके आस-पास है।शुरू-शुरू में तो वह डर जाती थी।मगर धीरे-धीरे वह अभ्यस्त हो गयी।उसे लगता तो था कि कोई आस-पास है मगर उसने आज तक उसे देखा नही था।

बस किसी के होने का एहसास होता था।कई बार उसे ये खुद का वहम लगता,या कई बार वह नजरें इधर-उधर घुमाती शायद कोई दिख जाए।मगर उसे कोई नही दिखता था।

और फिर वह इसे अपना वहम मानकर भूलने भी लगी थी।

एक दिन कॉलेज से लौटने में देर हो गयी ,मौसम भी काफी खराब हो गया था,लग रहा था बस अब बारिश होने ही वाली है।तेज हवाएं बड़े-बड़े पेड़ों को हिला रहीं थीं।रमा जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ा रही थी,साथ ही बीच-बीच में पीछे की तरफ देख भी रही थी कि शायद कोई ऑटो वाला दिख जाए।मगर दूर दूर तक किसी भी गाड़ी का आसार नही नजर आ रहा था।

सड़कें भी लगभग सूनी ही थीं,भला इस खराब मौसम में कौन बाहर निकलता। तभी रमा को लगा कोई है उसके आस-पास।और ये एहसास जाना-पहचाना सा भी लगा ,अचानक से रमा का डर कम हो गया।

रमा ने पीछे मुड़कर देखा तो एक ऑटो था,उसने हाथ से इशारा किया तो ऑटो रुक गया,करीब जाकर देखने पर उसमें एक व्यक्ति बैठा हुआ दिखा, रमा आगे बढ़ने लगी तभी उस व्यक्ति ने कहा,मैडम बैठ जाइए,इस खराब मौसम में ऑटो मिलने में परेशानी होगी।कोई दिक्कत नही होगी।

रमा ने दो पल को सोचा और फिर ऑटो में बैठ गयी।पता नही क्यों रमा को अपने बगल में बैठा हुआ व्यक्ति अजनबी होते हुए भी अजनबी नही लग रहा था।

और वह व्यक्ति चुपचाप नजरें झुकाए ऑटो में बैठा था।

रमा के घर आने पर वह ऑटो से उतर जैसे ही पैसे देने लगी उस व्यक्ति ने कहा,मैंने ऑटो रिज़र्व किया था मैडम आप जाइये ,आगे ही मेरा भी घर है।

रमा कुछ नही बोल पाई और चली गयी।और वह व्यक्ति आँखों से ओझल हो जाने तक रमा को देखता रहा।

तभी ऑटो चलाते हुए व्यक्ति ने कहा,क्या यार रमेश कितना अच्छा मौका था अपने इश्क के इजहार का फिर भी तुम चुप रहे,रमेश ने कहा,कभी कभी खामोशी में भी इश्क का अपना मजा होता है,तुम नही समझोगे।

और हाँ, बहुत धन्यवाद मेरे यार आज डॉक्टर से ऑटो ड्राइवर बनने के लिए ।

तुम्हारे लिए कुछ भी कहते हुए दोनों गले लग गए।

और खामोशी में लिपटे इश्क को महसूस कर गुनगुनाने लगें।

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