दिल टूटा

दिल टूटा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 12 May, 2024 | 0 mins read

दर्द,तकलीफ,बेचैनी,उलझन और कश्मकश,

टूटता रहा दिल नही कोई आहट,

शिकवा,शिकायत, गिला किससे करें हम,

ऐसा लगा मेरी नही कही भी जरूरत।


प्यार,वफ़ा,दोस्ती,अपनापन ये जीने के बहाने,

जिसके रहे हम सदा से ही दीवाने,

नफ़रत, साजिशें,षडयंत्र आये मेरे हिस्से,

दिल की तकलीफ़ से सभी रहे यहाँ अनजाने।


रिश्तों के नाम पर जब धोखे हिस्से में आए,

जिंदगी के काले रंग फिर जीवन में गहराए,

उम्मीद का हर टूटता सा लगा इस जीवन में

उलझनें जीवन की बढ़े कौन इसे सुलझाए।


कर दिया मैंने फिर सब रब के हवाले,

लड़खड़ाते कदमों को वही अब आकर संभाले,

टूटे दिल को जीवन में एक सुखद वजह दे,

मुहब्बत जिंदगी से हो कोई गम न पाले।


रिश्तों में विश्वास का अंकुर फिर फूटा,

जो चला गया दिल उसके लिए न रूठा,

ईश्वर की रज़ा में दिल राजी जब हुआ,

नही कभी किसी ने फिर सुकून औ करार लूटा।


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Ruchika Rai

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