काँटों बीच भी खिलते रहो,
यही सीख गुलाब दे जाएं।
घर आँगन सुरभित करो,
यह हमें सदा बतलाए।
हो विपरीत स्थिति कभी,
फिर भी तुम मुस्काओ।
अपने मुस्कान से हर उर
आनंदित तुम कर जाओ।
विपदा को पार करो तुम,
यह जज्बा मन में रहे सदा।
देखकर सब खुश होये तुम्हें
यह जिजीविषा मन में जगा।
बन सके तो गुलाब सरीखे
तुम यत्न कर बन जाओ।
अपनी खुशमिजाजी से
उदास चेहरे को भी खुश कर जाओ।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
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