गाँधी को गढ़ना होगा

महात्मा गाँधी

Originally published in hi
❤️ 1
💬 0
👁 392
Ruchika Rai
Ruchika Rai 02 Oct, 2021 | 0 mins read

समय हुआ है बहुत विकट हमें कुछ करना होगा,

आज जरूरत आन पड़ी है गाँधी को गढ़ना होगा।


ऊँच नीच की बढ़ती खाई देश को है तोड़ रही,

स्वार्थपरता की आँधी में इंसानियत मुख मोड़ रही,

जाति पाँति की दीवारें बाँट रही हैं हिस्से में

प्रेम सह्रदयता है अपना दामन अब देखो छोड़ रही।


विकट परिस्थिति आन पड़ी है हमको लड़ना होगा,

आज जरूरत आन पड़ी है गाँधी को गढ़ना होगा।


सांप्रदायिकता का विष बमन हो रहा हर मन में,

भ्र्ष्टाचार का बोलबाला हो रहा है हमारे इस वतन में,

स्त्री अस्मिता पर भी बुरी नियत है डाली जाती,

अकर्मण्यता का जोर हो रहा है मानो हर बदन में।


दुखद स्थिति देश की हमें कुछ करना होगा,

आज जरूरत आन पड़ी है गाँधी को गढ़ना होगा।



झूठ फरेब की बयार बह रही हर मन के गलियारे में,

भाई भाई पड़ टूट पड़े हैं संपति के बँटवारे में,

क्षुद्र राजनीति बाँट रही है देश के इंसानों को,

मार काट मच रही है हर पर्व त्योहारों में।


विपदा देश पर आन पड़ी है हमको कुछ करना होगा,

आज जरूरत आन पड़ी है गाँधी को हमें गढ़ना होगा।

1 likes

Support Ruchika Rai

Please login to support the author.

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.