मोहब्बत स्वयं से

खुद से प्यार

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 20 Apr, 2021 | 0 mins read

रब की बनाई हूँ कलाकारी हूँ मैं,

खुद पर जाती हरदम वारी हूँ मैं,

छोटी या मोटी होने का अफसोस नही,

ईश्वर की रचना पर जाती बलिहारी हूँ मैं।

माना कि फ़ितरत है लोगों की रूप निरखते,

सुंदर और आकर्षक ही चेहरा सदा देखते,

खुद से ही मोहब्बत करने लगी हूँ मैं,

चाहे लोग मुझ पर हेय दृष्टि रखते।

आत्मविश्वास से खुद की पहचान बनाती,

अपने व्यवहार से खुद को सँवारती,

अपनी बोली में सदा ही मिठास रखती,

इस तरह अपना रूप मैं निखारती।

सुंदरता का पैमाना मेरे लिए अलग है,

जो रोते को हँसा दे वही सुंदर है,

माना कि छरहरी काया नही हूँ मैं,

पर खुद के लिए मेरा सौंदर्य विशेष है।

ईश्वर की बनाई गई कृति पर अफसोस नही है,

व्यवहार सुंदर रहे बस यही जोश मन में है,

कोयल की तरह अपनी बोली से पहचान बनाऊंगी,

खुद के शरीर को लेकर न कोई शर्म मन में है।

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