वेदना

वेदना जब हुई गहरी

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 438
Ruchika Rai
Ruchika Rai 30 Mar, 2022 | 1 min read

टीस गहरी जब हुई हमारी,

लेखनी तब और मुखर हुई।

वेदना जब जब उठी तो,

कविता सज सँवर कर निखरी।


वेदना से मन हुआ व्यथित जब

भावना मन की प्रबल हुई।

अर्थ खोते शब्द सारे,

बनकर कविता वह प्रगट हुई।


वेदना से उत्पन्न कविता 

हर ह्रदय के तार छूती।

आह से वाह तक सफर कर

जोड़ती जो सम्बल है टूटी।


आँसूओं की अप्रतिम स्याही,

भावनाओं के रस छंद लय से

सिक्त कर हर शब्द को

सुप्त ह्रदय को जागृत करती।


वेदना का घना कोहरा,

काव्य की पुनीत वर्षा में।

शब्द है अप्रतिम गढ़ती,

काव्य का नूतन शृंगार करती।



0 likes

Support Ruchika Rai

Please login to support the author.

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.