रंग बरसे

रंगों का त्योहार

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 24 Mar, 2021 | 0 mins read



बृज की होली है याद आये,

राधा संग कान्हा रंग जमाये,

गोपियाँ भी उड़ाए रंग गुलाल,

पिचकारी की धार मन भरमाये।


प्रेम के रंग में है सब डूबे,

बैर भाव सब है खुद भूले,

नफरत की दीवार तोड़ के,

सब खुशियों के रंग लगाएं।


गोपियाँ कान्हा संग खेले होली,

भींगे बदन भींगे है सबकी चोली,

मस्ती में डूबे हैं सब कुछ ऐसे,

रास मचाये सब मिल हमजोली।


ढोलक के थाप पर सब नाचे,

धड़के है मन गोरी संग साजे,

सुर ताल हैं छेड़े सब मिलकर,

ऐसे है रंग गुलाल खूब उड़ाये।


सतरंगी रंग में रंगा है जीवन,

नाच उठे सबका तान बदन,

हुड़दंगों की टोली खूब मिले,

लगाए रंग सबके है बदन।

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