Ruchika Rai
Ruchika Rai 04 Aug, 2022
ओस
रात की तन्हाई के बाद सुबह का नजारा, वो ओस की गिरी हुई बूँदें दे रही इशारा तनहाई रात की भी अकेली कटी कहाँ है, ओस की बूँदों ने दिया है उसको सहारा।

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by ruchikarai

04 Aug, 2022

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