Ruchika Rai
Ruchika Rai 28 Feb, 2023
मन बांवरा
दुनिया की फिक्र में कभी यह बेवज़ह घुल जाये कभी उन्मुक्त उड़ान भर यहाँ वहाँ मंडराये, मन बावरा ये न समझे क्यों है उलझी जीवन गाँठें, उलझी गाँठों को सुलझाने को यह उलझे चला जाये।

Paperwiff

by ruchikarai

28 Feb, 2023

Topic free contest

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.