Ruchika Rai
Ruchika Rai 09 May, 2022
हमराही
मुश्किल भरी राहों में चल रही थी अकेली, न कोई साथी संग में न कोई अपनी सहेली स्वयं को ही जब अपना हमराही मैंने जाना, दूर हो गयी जीवन की कुछ अनसुलझी पहेली।

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by ruchikarai

09 May, 2022

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