Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 May, 2024
शाम
जिंदगी की शाम में कर्मों का बहीखाता खोल जब हिस्सा लगाया।तब पता चला कितने ही कार्य करने बाकी रह गए। कितने ही कार्यों में बेवज़ह समय को गँवाया। अफ़सोस ,लानतों ,मलामतों का सिलसिला जिंदगी की शाम में चल पड़ा। फ़िर अचानक से ख़्याल आया। बीते का अफ़सोस क्यों चलो एक नई शुरुआत करें शाम तो ढल रही रात की क्या बात करें। फिर नई सुबह होगी नए हौसलों के संग जिंदगी से बात करें।

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by ruchikarai

25 May, 2024

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