Ruchika Rai
Ruchika Rai 05 Jan, 2024
चाय
वह जाड़े की ढलती हुई शाम, टपरी पर बैठे हुए कुछ यार। खौलते चाय का करते इंतजार, चाय की आती खुशबू करती मन को बेकरार। साँवली सी रंगत वाली चाय, खींच लेती मन को हर बार ,कई बार।

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by ruchikarai

05 Jan, 2024

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