Ruchika Rai
Ruchika Rai 29 Jul, 2024
सीमाएँ
सीमाएँ जो मन के देहरी पर लगी होती हैं टूट जाती हैं अचानक पल दो पल के लिए ही सही। और ध्वस्त करती हैं मन का सुकून जैसे नदी पर लगाया बाँध टूट जाने से बहा ले जाती हैं नदियाँ अपने साथ कुछ विकास की रफ़्तार। बाँध मन पर हो या हो नदी पर तबाही दोनों ही लाती टूटने पर इसमें कोई गुरेज नही।

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by ruchikarai

29 Jul, 2024

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