Ruchika Rai
Ruchika Rai 08 Nov, 2023
जाल
भावनाओं के जाल में फँसी ,अपलक निहारती है दर्द आँखों में छुपाए स्वयं को वह सँवारती है, जिंदगी के टेढ़े मेढे रास्तों पर चाल सीधी कैसे चलें, जाल में स्वयं उलझी वह उलझनों के बीच राह निकालती है।

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by ruchikarai

08 Nov, 2023

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