Ruchika Rai
Ruchika Rai 13 Jan, 2023
जीवन का प्रवाह
ऊँची नीची पगडंडियाँ या फिर कभी टेढ़े मेढ़े रास्ते, हर्ष का अतिरेक हो कभी विषाद से भरे पड़े, समय प्रवाह संग चलता जाये जीवन का प्रवाह, मन में चाहे आह रहे या फिर मुँह से निकले वाह।

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by ruchikarai

13 Jan, 2023

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