Ruchika Rai
Ruchika Rai 10 Oct, 2022
बोझ
उम्मीदों के बोझ तले जब दबती है जिंदगी, फिर बोलो कैसे सँवरती है हमारी जिंदगी, अपने हिस्से के कर्तव्य को सदा अदा कीजिये, फिर हर दाँव पेंच से उबरती है जिंदगी।

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by ruchikarai

10 Oct, 2022

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