Ruchika Rai
21 Jun, 2022
डोर
मन उड़ चले इधर उधर चाहे किसी भी ओर,
भटके मन को रोक लें सदा ही संयम की डोर,
प्रेम और विश्वास से सदा ही सजा रहे ये
चाहे अँधेरी रात हो या हो चाहे हो क्यों न भोर।
Paperwiff
by ruchikarai
21 Jun, 2022
Microfable
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