Ruchika Rai
01 Jun, 2024
गर्मी
जेठ की तपन,बेचैन है मन,
पेडों पर सन्नाटा,पसीने में डूबा बदन,
सूरज का आग बरसाना,
नीर के लिए हर व्यक्ति के लिए तरस जाना।
बस बरस जाए बादल,पहुँच जाए राहत।
गर्मी में बागों में टहलते जाना।
बस यही जीवन से है आस लगाना।
Paperwiff
by ruchikarai
01 Jun, 2024
Picture promote contest -
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.