माँ

Poem

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Ritika Bawa Chopra
Ritika Bawa Chopra 09 May, 2021 | 1 min read

माँ का प्यार

माँ का दुलार

माँ से अच्छा न कोई कलाकार

अनगिनत रंग रूप में खुद को ढालती 

अपना दर्द किसी को न दिखलाती

सिर्फ सुख बाँटती और सब दुख हर लेती 

यूँ ही नहीं कहते उसे शक्ति

कभी शिक्षिका बनकर 

ज़िन्दगी के फलसफे सिखलाती

तो कभी डॉक्टर बनकर 

कड़वी दवा में रस घोल के पिलाती

कभी दोस्त बनकर 

सलाहकार बन जाती

तो कभी पेड़ बनकर 

ज़िन्दगी की कड़ी धूप से बचाती

उसकी डाँट भी फ़िक्र झलकाती 

पल में रो देती और गले से लगाती

माँ तो माँ है 

हर दर्द की दवा है

दुआ में उसकी इतनी शिफ़ा है

की उसकी ज़िद्द के आगे झुक जाती खुदा की भी रज़ा है!


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