मैं शेषनाग हूँ,
विष्णु की परचाई हूँ,
जहाँ जाएँ विष्णु,
मैं संग जाता हूँ,
जब हुए तुम राम,
तो लक्ष्मण बन तुम्हारा छोटा भाई हूँ,
तुम्हारा हर शब्द मेरे लिए आदेश हो,
मैं हर जन्म तुम्हारा साया हूँ,
राम बनकर मेरे गुस्से पर काबू करना सिखाया तुमने,
मेरी कुछ ना चली इस बार तो अब वरदान दो,
अगले जन्म बड़ा तुमसे मैं बनूँ,
मैं शेषनाग हूँ,
विष्णु की परचाई हूँ,
जहाँ जाएँ विष्णु,
मैं संग जाता हूँ,
जब हुए तुम कृष्णा,
तो बलराम बन तुम्हारा बड़ा भाई हूँ,
सोचा था हुकुम इस बार चलाऊँगा तुमपर,
पर तुम्हारे प्रेम के आगे इस बार भी झुक जाता हूँ,
बस यही मेरा वरदान हो,
बड़ा हूँ या छोटा, मैं सदा तुम्हारा साया रहूँ!
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