अशांत मन

Ek kavita

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Ritika Bawa Chopra
Ritika Bawa Chopra 06 Nov, 2022 | 1 min read

कौन जानता है एक अशांत मन की दास्तान, 

मन बेकाबू हो तो टूट ही जाता है इंसान,

किसी ने कहा, दिल का हाल किया तो होता बयान, 

पर दुनिया के आगे दिल खोलना नहीं होता इतना भी आसान,

कहने को तो दोस्त बहुत हैं यहाँ सबके पास, 

पर मन की बात समझ पाए, मुश्किल है मिलना कोई ऐसा ख़ास,

हर कोई बस कहता है बनो प्रबल,

पर इंसान ही तो है, पड़ जाता है कमज़ोर किसी पल,

अकेला बेक़ाबू मन खुद से ही लड़ता है हर रोज़, 

फिर एक दिन ज़िन्दगी लगने लगती है बोझ,

लाचार बेबस मन फिर शांति की करता है तलाश, 

मौत की गोद में मिलता है सुकून शायद उसे, 

पर पीछे छोड़ जाता है बस एक 'काश'!

काश, काश एक बार कह दी होती उसने दिल की बात,

शायद कुछ अलग ही होते हालात,

दुनिया को अपनी चमक से रोशन करने का हुनर रखने वाला कोई आज भी होता हमारे साथ!

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