Ritika Bawa Chopra
11 Mar, 2022
रेत और पानी
वक़्त बीत जाता है मुठ्ठी में से फिसलती रेत की तरह,
हर लम्हा बह जाता है नदी के चंचल पानी की तरह,
समय को भला कौन रोक पाया है,
ये तो बस यादें है जो ठहर कर रोज़ दिल को रोशन कर जाती है,
गगन में रोज़ चमकते चाँद की तरह,
अँधेरे में भी रोशनी की आस सी जगा जाती है!
Paperwiff
by ritikabawachopra
11 Mar, 2022
#microfables
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.