Ritika Bawa Chopra
06 Mar, 2021
वाह रे कोरोना!
घर से निकले जैसे ज़माना सा हुआ,
लोगों से मिलना और बातें करना कहीं गुम सा हुआ,
राह पर चलता हर इंसान जैसे बेगाना सा हुआ,
हर दोस्त अब जैसे पुराना सा हुआ,
वाह रे कोरोना,
तेरे केहर से तो अब हर अपना पराया सा हुआ!
Paperwiff
by ritikabawachopra
06 Mar, 2021
वाह रे कोरोना!
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