Ritika Bawa Chopra
Ritika Bawa Chopra 03 Jul, 2022
एक दरख़्त
बचपन में जहाँ दादाजी संग कुछ बीज बोए थे मैंने, बस वहीं बरसों बाद एक दरख़्त खड़ा मिला मुझे, कुछ तीस साल पहले प्यार से सींचा था जिसे, वो आज बाहें फैलाए खड़ा मिला मुझे, उसकी टहनी पर आराम से लेटकर, बस वही बचपन वाला एक सुकून सा मिला मुझे!

Paperwiff

by ritikabawachopra

03 Jul, 2022

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